यह लेख बताता है कि कैसे “नरसंहार” का आरोप एक प्रचार हथियार बन चुका है, जहाँ नागरिकों की रक्षा करने वालों को अपराधी और जानबूझकर नागरिक मौतें कराने वालों को पीड़ित बताया जाता है। संयुक्त राष्ट्र, मीडिया और अंतरराष्ट्रीय क़ानून के माध्यम से यह नैरेटिव कैसे वैश्विक स्तर पर स्थापित किया गया, इसका तथ्यात्मक विश्लेषण प्रस्तुत है।
